गतांक से आगे.. तो अब बात मुद्दे की, मुद्दा था ABRSM के राष्ट्रीय अधिवेशन में जंहा हमें तीन दिनों तक प्रतिभाग करना था, महासंघ द्वारा चुने गए स्थान पर एयरपोर्ट/रेलवे स्टेशन से पहुचाने की जिम्मेदारी जिन कर्मठी साथियों को दी गयी थी वो पूरी तन्मयता से रात के दो बजे भी हम लोगों के लिए एयरपोर्ट के बाहर मुस्तैद मिले। एकबारगी तो लगा शायद खुद से ही लोकेशन ट्रैक करके पहुचना होगा लेकिन ये क्या ! एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही ABRSM की टीम मौजूद थी। जल्दी ही हम लोगों को कैब द्वारा गन्तव्य तक रवाना किया गया, कैब में बैठने से पहले हम लोगों ने सोचा कि कैब तो 5 सीटर है तो एडजस्ट करके 5+1 (ड्राइवर) जरूरत पड़ने पर कर लेंगे, लेकिन हम यूपी में नही थे, वँहा हमारे सारथी ने बताया कि गाड़ी में केवल तीन पैसेंजर बैठेंगे, तो हम 7 लोगों के लिए तीन कैब की व्यवस्था ABRSM टीम द्वारा तुरन्त कर दी गयी। अब चूंकि वँहा से भी करीब एक डेढ़ घण्टे की दूरी पर चेननहल्ली नामक वो जगह थी जंहा हमें पहुचना था और कैब में रात के दो से तीन के बीच का समय, नींद और झपकी आनी तो लाज़मी थी, तो हम भी उसी में एक हल्की नींद मार लिए, और फिर आधी नीं...