यात्रा की शुरुआत हम लोगों ने सबसे पहले सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज मुख्यालय से शुरू की वहां हम लोगों ने पता करने पर पाया कि कुछ ही दूर पर रामगढ़ नाम का एक बाजार है जहां से सिलहट डैम और नगमा डैम के लिए रास्ते जाते हैं और यह भी पता लगाया कि वहां आसपास रुकने के लिए कोई भी होटल या कोई भी धर्मशाला वगैरह नहीं है हम लोगों ने वहां से कैब ली और आगे नई बाजार होते हुए रामगढ़ बाजार पहुंचे लगभग 30 किलोमीटर की दूरी आधे घंटे में तय हुई रास्ता अच्छा था। रामगढ़ बाजार से थोड़ा आगे बढ़ने पर पन्नू गंज थाना पड़ता है जहां से दाहिने साइड हम लोगों ने अपनी गाड़ी मोड़ ली। उस रास्ते से करीब 4 किलोमीटर आगे जाने पर एक नहर मिलती है उस नहर की तरफ हम लोग बाएं मुड़ गए और उसी नहर को पकड़ के आगे बढ़े । स्थानीय लोगों ने बताया कि यह नहर सिलहट डैम से होकर आ रही है हम लोग उसी नहर के किनारे किनारे आगे बढ़ते चले गए रास्ता बढ़िया है बाइक से भी जाने लायक है फोर व्हीलर से भी जाने लायक है जिस भी साधन से आप जाना चाहें, जा सकते हैं। थोड़ी ही देर में हम लोग पहुंच गए पहुंचने के बाद हल्की बारिश हो चुकी थी मौसम बहुत सुहावना था और जब हम लोग डैम के मुहाने पर खड़े थे तो वहां का दृश्य देखकर ऐसा लगता था जैसे हम किसी दक्षिण भारत के किसी क्षेत्र में पहुंच गए हैं इतना अप्रतिम इतना सुंदर इतना मनोरम दृश्य कि शब्दों में बयां नहीं कर सकता। वहां हम लोगों ने देखा कि यह बनाड़ कई साल पहले का बना हुआ है हालांकि वहां किसी भी प्रकार की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी ना ही वहां पर स्थानीय लोगों के द्वारा कोई स्टॉल या कोई दुकान लगी हुई थी । हां पता चलने पता करने पर पता चला कि नए साल के दिन 1 जनवरी को यहां मेला सरीखे भीड़ होती है तो कुछ स्थानीय दुकान वाले दुकान लगा लेते हैं और काफी पर्यटक जो आसपास के जिलों के हैं और सोनभद्र जिले के चंदौली जिले के वाराणसी से काफी पर्यटक आते हैं घूमते हैं।
यहां पानी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है और पास में सीआरपीएफ का भी कैंप भी है मात्र 100 मीटर या 200 मीटर की दूरी पर और इधर में असुरक्षा की भावना नहीं ।पहले यह नक्सलवादियों का बेल्ट कहा जाता था लेकिन वर्तमान में ऐसी कोई समस्या पिछले कई दशक से नहीं सामने आई है स्थानीय लोगों द्वारा बातचीत में पता चला कि इस तरह की कोई भी समस्या सामने नहीं आती है प्रशासन काफी चुस्त और दुरुस्त हुआ है। यंहा सेल्यूलर नेटवर्क की बात करें तो सभी नेटवर्क यहां लगभग मिल जाते हैं और अच्छे से कार्य करते हैं उसके बाद वहां पर कुछ समय बिताने के बाद हम लोग आगे बढ़ें उसी रोड को पकड़ के करीब 5 किलोमीटर आगे बढ़ने पर हमें नगवा बांध का दर्शन हुआ जो कि बहुत ही बड़ा है और सोनभद्र का सबसे बड़ा बांध है और वाकई देखने में ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी सागर या समुद्र या नदी के किनारे हैं क्यों कि एक किनारे का पता ही नहीं चल रहा था। फिर हम लोग वहां से बाएं किनारे किनारे होते हुए मेन फाटक की तरफ पहुंचे जहां से हम लोगों ने देखा कि ढेर सारे सैलानी और पर्यटक आए हुए हैं और नीचे जहां डैम का पानी रोका गया था वहां से थोड़ा बहुत पानी रिस रिस के बाहर निकल रहा था जो कि पर्यटकों के लिए आनंद आनंद आई था वह पानी आगे बढ़कर के 1 किल्ले के घाट जी का निर्माण कर रहा था जिसके किनारे कई लोग बैठ कर नहा रहे थे पिकनिक मना रहे थे वह खाना पीना अपना जो भी जिस व्यवस्था से आए थे वह लगे हुए थे वहीं पर कुछ स्थानीय लोगों द्वारा दुकान की भी व्यवस्था थी जहां पर पकौड़ी जलेबियां गुड़ की जलेबी या और ऐसे ही आइटम मिल रहे थे।
हम लोगों ने लगभग 3 घंटे का समय वहां बिताया जो कि काफी आनंद आई रहा मौसम बहुत ही सुहाना था जाने के लिए सबसे अच्छा है कि समय कहा जा सकता है ठंड का मौसम क्योंकि सोनभद्र में बहुत ज्यादा ठंड भी नहीं पड़ती है तो वह सबसे अच्छा मौसम जाने के लिए यहां घूमने के लिए अक्टू november-december जनवरी फरवरी-मार्च तक का मान सकते हैं जहां पर पर्याप्त मात्रा में हरियाली मौसम ठंडा मिलेगा और रावटसगंज जो कि सोनभद्र जिले उत्तर प्रदेश में स्थित सोनभद्र जिले का मुख्यालय पड़ता है यहां आने के लिए आपको मिर्जापुर से इलाहाबाद से वाराणसी से ट्रेन की व्यवस्था है वाराणसी यहां से लगभग 100 किलोमीटर है और वाराणसी रोडवेज से हर पल 20 मिनट पर बसे सोनभद्र के लिए आपको मिलेंगे इलाहाबाद से आने के लिए आपको पैसेंजर एक एक्सप्रेस ट्रेन का सहारा है और यही कई जिलों से होते हुए आप इधर से सोनभद्र ऐसा जिला है जो कि मध्य प्रदेश की भी सीमा को छूता है छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा को छूता है बिहार राज्य की भी सीमा को छूता है और साथ ही झारखंड राज्य को भी छूता है यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जो 4 राज्यों की सीमा को छूता है यदि चाहें तो सोनभद्र जिले से बिहार के सासाराम की तरफ जा सकते हैं भभुआ जा सकते हैं झारखंड की तरफ से गढ़वा झारखंड में गढ़वा की तरफ निकल सकते हैं छत्तीसगढ़ में रायपुर जा सकते हैं और मध्य प्रदेश में आप भोपाल या जबलपुर की तरफ कल सकते हैं यहां मुख्यालय से सिलहट डैम की दूरी लगभग 50 किलोमीटर और सिलहट से करीब 5 से 10 किलोमीटर के आगे बांध स्थित है काफी सालों पहले यह नक्सलवादियों का गढ़ माना जाता रहा था लेकिन फिलहाल में स्थानीय नागरिकों द्वारा बात करने पर पता चला कि यहां पर नक्सल की समस्या लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है पिछले एक दशक से इस तरह की कोई भी घटना दुर्घटना सामने नहीं आई है प्रशासन भी काफी मुस्तैद रहता है और यहां पर पर्यटकों और सैलानियों का हमेशा स्वागत करता है इसलिए आप भी आए घूमे और आनंद ने एक वीकेंड के लिए सबसे अच्छी जगह सोनभद्र।
यहां पानी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है और पास में सीआरपीएफ का भी कैंप भी है मात्र 100 मीटर या 200 मीटर की दूरी पर और इधर में असुरक्षा की भावना नहीं ।पहले यह नक्सलवादियों का बेल्ट कहा जाता था लेकिन वर्तमान में ऐसी कोई समस्या पिछले कई दशक से नहीं सामने आई है स्थानीय लोगों द्वारा बातचीत में पता चला कि इस तरह की कोई भी समस्या सामने नहीं आती है प्रशासन काफी चुस्त और दुरुस्त हुआ है। यंहा सेल्यूलर नेटवर्क की बात करें तो सभी नेटवर्क यहां लगभग मिल जाते हैं और अच्छे से कार्य करते हैं उसके बाद वहां पर कुछ समय बिताने के बाद हम लोग आगे बढ़ें उसी रोड को पकड़ के करीब 5 किलोमीटर आगे बढ़ने पर हमें नगवा बांध का दर्शन हुआ जो कि बहुत ही बड़ा है और सोनभद्र का सबसे बड़ा बांध है और वाकई देखने में ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी सागर या समुद्र या नदी के किनारे हैं क्यों कि एक किनारे का पता ही नहीं चल रहा था। फिर हम लोग वहां से बाएं किनारे किनारे होते हुए मेन फाटक की तरफ पहुंचे जहां से हम लोगों ने देखा कि ढेर सारे सैलानी और पर्यटक आए हुए हैं और नीचे जहां डैम का पानी रोका गया था वहां से थोड़ा बहुत पानी रिस रिस के बाहर निकल रहा था जो कि पर्यटकों के लिए आनंद आनंद आई था वह पानी आगे बढ़कर के 1 किल्ले के घाट जी का निर्माण कर रहा था जिसके किनारे कई लोग बैठ कर नहा रहे थे पिकनिक मना रहे थे वह खाना पीना अपना जो भी जिस व्यवस्था से आए थे वह लगे हुए थे वहीं पर कुछ स्थानीय लोगों द्वारा दुकान की भी व्यवस्था थी जहां पर पकौड़ी जलेबियां गुड़ की जलेबी या और ऐसे ही आइटम मिल रहे थे।
हम लोगों ने लगभग 3 घंटे का समय वहां बिताया जो कि काफी आनंद आई रहा मौसम बहुत ही सुहाना था जाने के लिए सबसे अच्छा है कि समय कहा जा सकता है ठंड का मौसम क्योंकि सोनभद्र में बहुत ज्यादा ठंड भी नहीं पड़ती है तो वह सबसे अच्छा मौसम जाने के लिए यहां घूमने के लिए अक्टू november-december जनवरी फरवरी-मार्च तक का मान सकते हैं जहां पर पर्याप्त मात्रा में हरियाली मौसम ठंडा मिलेगा और रावटसगंज जो कि सोनभद्र जिले उत्तर प्रदेश में स्थित सोनभद्र जिले का मुख्यालय पड़ता है यहां आने के लिए आपको मिर्जापुर से इलाहाबाद से वाराणसी से ट्रेन की व्यवस्था है वाराणसी यहां से लगभग 100 किलोमीटर है और वाराणसी रोडवेज से हर पल 20 मिनट पर बसे सोनभद्र के लिए आपको मिलेंगे इलाहाबाद से आने के लिए आपको पैसेंजर एक एक्सप्रेस ट्रेन का सहारा है और यही कई जिलों से होते हुए आप इधर से सोनभद्र ऐसा जिला है जो कि मध्य प्रदेश की भी सीमा को छूता है छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा को छूता है बिहार राज्य की भी सीमा को छूता है और साथ ही झारखंड राज्य को भी छूता है यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जो 4 राज्यों की सीमा को छूता है यदि चाहें तो सोनभद्र जिले से बिहार के सासाराम की तरफ जा सकते हैं भभुआ जा सकते हैं झारखंड की तरफ से गढ़वा झारखंड में गढ़वा की तरफ निकल सकते हैं छत्तीसगढ़ में रायपुर जा सकते हैं और मध्य प्रदेश में आप भोपाल या जबलपुर की तरफ कल सकते हैं यहां मुख्यालय से सिलहट डैम की दूरी लगभग 50 किलोमीटर और सिलहट से करीब 5 से 10 किलोमीटर के आगे बांध स्थित है काफी सालों पहले यह नक्सलवादियों का गढ़ माना जाता रहा था लेकिन फिलहाल में स्थानीय नागरिकों द्वारा बात करने पर पता चला कि यहां पर नक्सल की समस्या लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है पिछले एक दशक से इस तरह की कोई भी घटना दुर्घटना सामने नहीं आई है प्रशासन भी काफी मुस्तैद रहता है और यहां पर पर्यटकों और सैलानियों का हमेशा स्वागत करता है इसलिए आप भी आए घूमे और आनंद ने एक वीकेंड के लिए सबसे अच्छी जगह सोनभद्र।
Comments
Post a Comment