यात्रा के अगले पड़ाव में सोनप्रयाग से हम लोग निकले श्री बद्रीनाथ की तरफ..
वैसे दोनो जगहों के लिए रास्ता हरिद्वार की तरफ से जाने पर रुद्रप्रयाग से अलग होता लेकिन हम लोग वापसी में कुंड से उखीमठ,चोपता वैली,केदारनाथ रिज़र्व नेशनल पार्क, केदारनाथ हिरन वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी व गोपेश्वर महादेव होते हुए चमोली में जा के रुद्रप्रयाग की तरफ से आने वाले NH7 में जा मिले और श्री बद्रीनाथ धाम तक पहुचे।
कुंड से चमोली तक के सफर में घने जंगल व एकदम सुहाने मौसम से रूबरू हुए, चोपता एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन है जंहा बहुत सी एक्टिविटीज हेतु कैम्प और रिसॉर्ट्स मौजूद हैं। (Must Visit)
जैसे जैसे आगे बढ़ते गए सड़क बनाने का काम ज़ोरों पर दिखा और धूल व उमस भी मिलती रही साथ ही डीजल व पेट्रोल के लिए घण्टों जाम में भी फंसे रहे। आप भी पर्याप्त समय लेकर ही होटल/रिसॉर्ट्स की एडवांस बुकिंग करें।
Day 6
बद्री विशाल जी के दर पर..
होटल में रूम बुक कर सारे सामान रख, हम लोग रास्ते भर की थकान मिटाने और तरो ताज़ा होने पहुंचे तप्त/गर्म कुंड जंहा ज़मीन से निकलते हुए सल्फरयुक्त गर्म पानी से हुआ स्नान, थकान हुई फुर्र ।(जानकारों की मानें तो यहां गर्म पानी निकलने का मुख्य कारण जमीन की सतह के नीचे ग्रेनाइट पत्थर का होना है। यहां पानी के निचली सतह पर काफी मात्रा में ग्रेनाइट पत्थर है जिसके कारण हमेशा वहां पर गर्म पानी का निकास होता रहता है। इसके अलावा विज्ञान में एक और तथ्य है कि ऐसी जगह जहां जमीन में सल्फर हो या फिर ऐसे पानी के स्थल जहां सल्फर की मात्रा अधिक हो वहां का पानी गर्म हो जाता है जो सालों भर गर्म रहता है।)
फिर उसके बाद लगे लाइन में जंहा सबसे पीछे थे हम लोग और देखते ही देखते सैकड़ों लोग पीछे लग गए।
आप लोग भी दर्शन शाम के समय ही कीजियेगा (व्यक्तिगत विचार) ताकि लंबी लाइन न लगी रहे, हल्की गुलाबी ठंड और कानो में लगती ठंडी हवा ने मिज़ाज़ खुशनुमा कर दिया..
अगली सुबह..
पहुचे भारत के सीमांत ग्राम माणा (घिघराण), जिला-चमोली,
जंहा देखा गया कि अधिकांश दुकाने महिलाओं द्वारा चलाई जा रही थीं।
गांव में रुकने के लिए पर्याप्त घर हैं जंहा किफायती दरों में होटल के बजाय घर मे रुकने का मौका और खाने के लिए क्षेत्रीय भोजन मिल सकता है। बद्रीनाथ धाम से माणा आने के लिए वाहन वाले ₹500 ले लेते हैं जबकि आपके पास यदि पर्याप्त समय हो तो पैदल ही प्राकृतिक छटाओं का आनंद लेते हुए आसानी से पहुच सकते हैं। बद्रीनाथ धाम से लगभग एक किलोमीटर का ये रास्ता सीधा एवम सपाट है जंहा आसानी से पैदल चला जा सकता है। सुबह में यह भी दिखा कि बद्रीनाथ धाम में दर्शन के लिए लगने वाली लाइन मंदिर से लगभग 500 मीटर दूर तक लग चुकी थी इसलिए कोशिश करें कि शाम में ही दर्शन कर लें।
वापसी के समय रास्ते मे
रुद्रप्रयाग जिले का वह स्थान जंहा केदारनाथ से बहती हुई आने वाली मंदाकिनी नदी और बद्रीनाथ धाम से बहती हुई आने वाली अलकनंदा नदियों का संगम है जो कि आगे जाकर देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलकर पतित पावनी गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
हरिद्वार/ऋषिकेश से आने पर इसी रुद्रप्रयाग से ही दोनो धामो के लिए रास्ता अलग होता है। एक रास्ता बांयी तरफ मंदाकिनी नदी के साथ साथ होते हुए केदारनाथ तक पहुचता है और दूसरा रास्ता दाएं तरफ अलकनंदा नदी के साथ साथ बद्रीनाथ धाम तक पहुचता है।
अलविदा उत्तराखंड..खट्टी मीठी यादों के साथ हम लोग हुए वापस अपने घर की ओर..
शाम 5 बजे ही ऋषिकेश पहुचे और ऐसा जाम में फंसे के सीधे रात के 11:30 बजे हरिद्वार रोडवेज बस टर्मिनल पहुचे।
वँहा से हमने सोचा कि ट्रेन का समय और किराया तो आप लोग आसानी से पता लगा लेंगे लेकिन बस का पता करने में मुश्किल होगी इसलिए निर्णय लिए बस द्वारा ही घर तक का सफर किया जाएगा और लगने वाले समय और किराये को आपसे शेयर करूँगा।
हरिद्वार से बरेली तक जा रही बस में बैठे जो कि रात के 12:45 पर स्टैंड से निकली और सुबह करीब 3 बजे के आस पास जाम से निकली फिर मुरादाबाद होते हुए सुबह 9 बजे बरेली पहुची।(हरिद्वार से बरेली की दूरी 263 किलोमीटर, साधारण किराया ₹291)
वँहा से तुरन्त ही हम लोग सैटेलाइट के लिए ऑटो से निकले और फिर लखनऊ जाने वाली बस में बैठ गए और उसी दौरान सुबह का नाश्ता और लंच हुआ और दिन में करीब 4 बजे लखनऊ पहुचा गया।
(बरेली/सैटेलाइट से लखनऊ की दूरी 259 किमी व साधारण किराया ₹267)
फिर हम लोग पहुचे चारबाग बस स्टैंड जंहा वाराणसी के लिये यूपी रोडवेज की एक पहल "जनरथ" लगी थी जो कि शाम 4:30 बजे चली और रात के 1:00 बजे वाराणसी पहुची, रास्ते में ही एक ढाबे पर रात का भोजन हुआ। AC बस होने के कारण नींद अच्छी आई और रास्ते की थकान भी दूर हुई।
(चारबाग से वाराणसी की दूरी 322 किमी, जनरथ किराया ₹443)
वाराणसी से फिर रात के 1:30 बजे बस मिली रॉबर्ट्सगंज(सोनभद्र) के लिए और सुबह में करीब 3:30 बजे अपने घर पहुचे।
(वाराणसी से रॉबर्ट्सगंज की दूरी 103 किमी, साधारण किराया ₹123)
हरिद्वार से रॉबर्ट्सगंज/सोनभद्र तक बस द्वारा कुल 28 घण्टे का समय लगा
व किराया ₹1124 लगा।
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वैसे दोनो जगहों के लिए रास्ता हरिद्वार की तरफ से जाने पर रुद्रप्रयाग से अलग होता लेकिन हम लोग वापसी में कुंड से उखीमठ,चोपता वैली,केदारनाथ रिज़र्व नेशनल पार्क, केदारनाथ हिरन वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी व गोपेश्वर महादेव होते हुए चमोली में जा के रुद्रप्रयाग की तरफ से आने वाले NH7 में जा मिले और श्री बद्रीनाथ धाम तक पहुचे।
कुंड से चमोली तक के सफर में घने जंगल व एकदम सुहाने मौसम से रूबरू हुए, चोपता एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन है जंहा बहुत सी एक्टिविटीज हेतु कैम्प और रिसॉर्ट्स मौजूद हैं। (Must Visit)
जैसे जैसे आगे बढ़ते गए सड़क बनाने का काम ज़ोरों पर दिखा और धूल व उमस भी मिलती रही साथ ही डीजल व पेट्रोल के लिए घण्टों जाम में भी फंसे रहे। आप भी पर्याप्त समय लेकर ही होटल/रिसॉर्ट्स की एडवांस बुकिंग करें।
Day 6
होटल में रूम बुक कर सारे सामान रख, हम लोग रास्ते भर की थकान मिटाने और तरो ताज़ा होने पहुंचे तप्त/गर्म कुंड जंहा ज़मीन से निकलते हुए सल्फरयुक्त गर्म पानी से हुआ स्नान, थकान हुई फुर्र ।(जानकारों की मानें तो यहां गर्म पानी निकलने का मुख्य कारण जमीन की सतह के नीचे ग्रेनाइट पत्थर का होना है। यहां पानी के निचली सतह पर काफी मात्रा में ग्रेनाइट पत्थर है जिसके कारण हमेशा वहां पर गर्म पानी का निकास होता रहता है। इसके अलावा विज्ञान में एक और तथ्य है कि ऐसी जगह जहां जमीन में सल्फर हो या फिर ऐसे पानी के स्थल जहां सल्फर की मात्रा अधिक हो वहां का पानी गर्म हो जाता है जो सालों भर गर्म रहता है।)
फिर उसके बाद लगे लाइन में जंहा सबसे पीछे थे हम लोग और देखते ही देखते सैकड़ों लोग पीछे लग गए।
आप लोग भी दर्शन शाम के समय ही कीजियेगा (व्यक्तिगत विचार) ताकि लंबी लाइन न लगी रहे, हल्की गुलाबी ठंड और कानो में लगती ठंडी हवा ने मिज़ाज़ खुशनुमा कर दिया..
अगली सुबह..
पहुचे भारत के सीमांत ग्राम माणा (घिघराण), जिला-चमोली,
जंहा देखा गया कि अधिकांश दुकाने महिलाओं द्वारा चलाई जा रही थीं।
गांव में रुकने के लिए पर्याप्त घर हैं जंहा किफायती दरों में होटल के बजाय घर मे रुकने का मौका और खाने के लिए क्षेत्रीय भोजन मिल सकता है। बद्रीनाथ धाम से माणा आने के लिए वाहन वाले ₹500 ले लेते हैं जबकि आपके पास यदि पर्याप्त समय हो तो पैदल ही प्राकृतिक छटाओं का आनंद लेते हुए आसानी से पहुच सकते हैं। बद्रीनाथ धाम से लगभग एक किलोमीटर का ये रास्ता सीधा एवम सपाट है जंहा आसानी से पैदल चला जा सकता है। सुबह में यह भी दिखा कि बद्रीनाथ धाम में दर्शन के लिए लगने वाली लाइन मंदिर से लगभग 500 मीटर दूर तक लग चुकी थी इसलिए कोशिश करें कि शाम में ही दर्शन कर लें।
वापसी के समय रास्ते मे
रुद्रप्रयाग जिले का वह स्थान जंहा केदारनाथ से बहती हुई आने वाली मंदाकिनी नदी और बद्रीनाथ धाम से बहती हुई आने वाली अलकनंदा नदियों का संगम है जो कि आगे जाकर देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलकर पतित पावनी गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
हरिद्वार/ऋषिकेश से आने पर इसी रुद्रप्रयाग से ही दोनो धामो के लिए रास्ता अलग होता है। एक रास्ता बांयी तरफ मंदाकिनी नदी के साथ साथ होते हुए केदारनाथ तक पहुचता है और दूसरा रास्ता दाएं तरफ अलकनंदा नदी के साथ साथ बद्रीनाथ धाम तक पहुचता है।
अलविदा उत्तराखंड..खट्टी मीठी यादों के साथ हम लोग हुए वापस अपने घर की ओर..
शाम 5 बजे ही ऋषिकेश पहुचे और ऐसा जाम में फंसे के सीधे रात के 11:30 बजे हरिद्वार रोडवेज बस टर्मिनल पहुचे।
वँहा से हमने सोचा कि ट्रेन का समय और किराया तो आप लोग आसानी से पता लगा लेंगे लेकिन बस का पता करने में मुश्किल होगी इसलिए निर्णय लिए बस द्वारा ही घर तक का सफर किया जाएगा और लगने वाले समय और किराये को आपसे शेयर करूँगा।
हरिद्वार से बरेली तक जा रही बस में बैठे जो कि रात के 12:45 पर स्टैंड से निकली और सुबह करीब 3 बजे के आस पास जाम से निकली फिर मुरादाबाद होते हुए सुबह 9 बजे बरेली पहुची।(हरिद्वार से बरेली की दूरी 263 किलोमीटर, साधारण किराया ₹291)
वँहा से तुरन्त ही हम लोग सैटेलाइट के लिए ऑटो से निकले और फिर लखनऊ जाने वाली बस में बैठ गए और उसी दौरान सुबह का नाश्ता और लंच हुआ और दिन में करीब 4 बजे लखनऊ पहुचा गया।
(बरेली/सैटेलाइट से लखनऊ की दूरी 259 किमी व साधारण किराया ₹267)
फिर हम लोग पहुचे चारबाग बस स्टैंड जंहा वाराणसी के लिये यूपी रोडवेज की एक पहल "जनरथ" लगी थी जो कि शाम 4:30 बजे चली और रात के 1:00 बजे वाराणसी पहुची, रास्ते में ही एक ढाबे पर रात का भोजन हुआ। AC बस होने के कारण नींद अच्छी आई और रास्ते की थकान भी दूर हुई।
(चारबाग से वाराणसी की दूरी 322 किमी, जनरथ किराया ₹443)
वाराणसी से फिर रात के 1:30 बजे बस मिली रॉबर्ट्सगंज(सोनभद्र) के लिए और सुबह में करीब 3:30 बजे अपने घर पहुचे।
(वाराणसी से रॉबर्ट्सगंज की दूरी 103 किमी, साधारण किराया ₹123)
हरिद्वार से रॉबर्ट्सगंज/सोनभद्र तक बस द्वारा कुल 28 घण्टे का समय लगा
व किराया ₹1124 लगा।
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