जब अगली सुबह सो के उठे तो नित्य कर्म हेतु बोगी के अंतिम छोर का रुख किया गया, पहुचते ही पता चला कि ट्रेन में पानी ही नही आ रहा, अब तो जैसे भारतीय रेलवे पे गुस्सा आने लगा कि इतनी लंबी दूरी की ट्रेन, तकरीबन 23 घण्टे का सफर करने वाली (राजेंद्रनगर कामाख्या कैपिटल एक्सप्रेस) के शौचालय में पानी नही, बेसिन में पानी नही, चूंकि परिवार ले के सफर करते समय हम सब इन्ही बातों को ज्यादा प्रिफरेंस देते हैं तो उसका उपाय सूझा, ट्रेन के क्लिनिंग स्टाफ से उनकी ड्यूटी स्लिप की मांग की तो वो भी पहले पर्ची देने में आनाकानी करने लगे फिर मेरे उग्र होने पे उन्होंने दे दिया, उसमें कुछ सम्बंधित स्टाफ के नाम और नम्बर्स लिखे होते हैं जिनपे कॉल करके आप अपनी समस्या बता सकते हैं और आपकी शिकायत पर तत्काल अमल करना उनके प्राथमिकता का काम होता है, फिर उधर से प्रॉपर समय में रेस्पॉन्स न मिलने पर हमने मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे और ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे हाजीपुर को टैग करते हुए ट्वीट किया,
(यदि आपको जानना हो कि आप रेलवे के किस जोन में यात्रा कर रहे हैं तो उसका सबसे आसान तरीका है अपने सीट पे बैठे बैठे बाहर की ओर देखें, कुछ कुछ दूरी पर पत्थर लगे होते हैं जिसपे बड़े बड़े कैपिटल अक्षरों में लिखा रहता है उसी कीवर्ड्स से आप गूगल कर सकते हैं यदि उसका फुल फॉर्म नही पता है तो)
मेरे ट्वीट करते ही सारा स्टाफ हरकत में आ गया, जो स्टाफ फ़ोन पर कह रहा था कि अगले स्टेशन पर देखेंगे वो तुरन्त हमारी बर्थ तक पहुचा और समस्या को सुना उसका निदान करवाना शुरू किया जैसे शौचालय और वाश बेसिन की साफ सफाई और जैसे ही अगले स्टेशन पर ट्रेन खड़ी हुई तुरंत ही बोगी में पानी भरा गया, शायद बोगी में लगा हुआ मोटर काम नही कर रहा था तो वो भी वंही बना और बोगी में हर जगह पानी आने लगा, मेरे द्वारा पुनः कहने पर शौचालय साफ किया गया वो भी मेरे संतुष्ट होने तक, एक नही तीन तीन बार खुद सामने खड़े होकर साफ करवाया जिससे साथी यात्रियों को भी सहूलियत हुई और उन्हें भी जागरूक किया कि आप भी ऐसी परेशानियों को झेलिये मत, आगे बढ़कर उसे सॉल्व करने का प्रयास कीजिये, फिर आगे का सफर ऐसा था कि हर आधे एक घण्टे में साफ सफाई वाले स्टाफ मेरे बोगी में ही आ के साफ करके जाते थे और ये कार्यक्रम ट्रेन के कामाख्या जंक्शन तक पहुचने तक जारी रहा। आप भी ऐसी किसी भी असुविधा के समय रेल मदद एप्लिकेशन और उनके ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल करें।
आज कल रेलवे ने लगभग प्रत्येक स्टेशन पर Water Filling Station बनवा रखा है जंहा आप न्यूनतम पैसों में फिल्टर्ड और ठंडा पानी खरीद सकते हैं, साथ ही कई स्टेशन पर हम लोगों को बिल्कुल चिल्ड पानी भी मिला वो भी रेलवे द्वारा ही निःशुल्क व्यवस्था के तहत लगाए गए फ्रीजर द्वारा तो पानी के वो 15 लीटर मिल्टन बॉटल हम लोग फिर से भर लिए जो कि पूरे रास्ते हमे ठंडा पानी देता रहा, इस दिन वेंडर्स द्वारा कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक ली गयी जो कि रेलवे की अपनी दरों पर प्राप्त हुईं साथ ही तमाम प्रकार के लोकल फल बेचने वाले वेंडर भी मिले जिसका सेवन हम लोगों ने रास्ते मे किया।
साथ बैठे एक सहयात्री जो कि पटना से थे उन्होंने हमारा सिक्किम ट्रिप का अनुभव लिया और अपना प्लान दार्जिलिंग से एक्सटेंड करते हुए नॉर्थ सिक्किम भी करने की योजना बना डाली, उनके लिए ड्राइवर सहित गाड़ी और लाचेन, लाचुंग में होटल वगैरह की बुकिंग हमने फ़ोन पर ही बात करके फाइनल कर दी और वो भी सिक्किम का अनुभव करने निकल पड़े..
तो इस प्रकार से अगला पूरा दिन हमारा ट्रेन में ही बीत जाता है, विभिन्न स्टेशन पर घूमते हुए वँहा के स्थानीय लोगों से बातचीत करते हुए हम लोग रात में करीब 11:00 बजे के आसपास कामाख्या जंक्शन पहुचाती है हमारी ट्रेन। आप लोगों को बताना चाहूंगा जब भी आप कोई ट्रेन बुक करें तो उस गंतव्य पर यदि आपको रात बितानी हो या कुछ देर आराम करना हो तो आप उस स्टेशन पर रेलवे के रिटायरिंग रूम जरूर बुक कर ले क्योंकि आजकल रेलवे रिटायरिंग होटल से कम नहीं है मुझे थोड़ा सा शक हो रहा था लेकिन मेरे मित्र ने बताया कि आप कामाख्या जंक्शन और गुवाहाटी जंक्शन के रिटायरिंग रूम को रेलवे की वेबसाइट से अपने PNR नम्बर के आधार पर बुक कर सकते हैं और सच मे बहुत ही अच्छी व्यवस्था है और खाने-पीने की चीजें भी उचित दर पर उपलब्ध हो जाती हैं। एक पीएनआर पर आप केवल एक बार ही रूम बुक हो पाता है। सॉफ्टवेयर या सर्वर या कमरे की अनुपलब्धता की थोड़ी सी प्रॉब्लम होने की वजह से जिस PNR पर हमें दो रूम लेना था उसमें एक ही रूम रूम बुक करने को मिला और दूसरे PNR नंबर पर एक भी रूम उपलब्ध नही हो सका तो हमे तीन कमरों की बजाय एक कमरे से संतोष करना पड़ा और बाकी के दो कमरे बाहर होटल में लिए हम लोगों ने।
रेलवे का जो डबल बेड का कमरा मिला वो भी AC सहित विथ प्रॉपर वेंटिलेशन एंड एमिनिटीज सिर्फ 675 रुपये में।
बाकी के दो रुम हम लोगों ने स्टेशन से थोड़ी ही दूर पर आश्रय गेस्ट हाउस करके एक प्रॉपर्टी बुक कर ली थी और इसे होटल ही कह सकते हैं क्योंकि वहां पर फूडिंग और लॉजिंग दोनों की व्यवस्था उपलब्ध थी और ठीक-ठाक एसी रूम मिल गया 1500 रुपये प्रति रूम की दर से (हालांकि मौसम थोड़ा ठंडा था इसलिए AC चलाने की जरूरत ही नही पड़ी), वैसे रूम तो बेशक बहुत छोटे थे उस होटल के, क्यों कि रेलवे वाला रिटायरिंग रूम इन कमरों का लगभग ढाई गुना बड़ा था। लेकिन इनके रेस्टोरेंट का खाना बहुत अच्छा था, थोड़ा महंगा जरूर था मगर फिर भी ठीक है, यदि रात के 12:00 बजे अच्छा खाना मिल जाए तो सब दुख दूर हो जाता है,
BHU के मेरे एक साथी ने गुरु मंत्र दिया था कि दिन भर कैसे भी बीते बस रात का खाना जबरदस्त (मन को अच्छा लगने वाला) होना चाहिए तब से उसकी इस बात को हमेशा गांठ बांध के चलता हूँ।और यंहा भी मन से रात्रि भोजन कर विश्राम हुआ।
इस प्रकार से हमारे दूसरे दिन की यात्रा का अंत हुआ और मिलते हैं कल सुबह अपने तीसरे दिन के सफर में।
अब आप लोग हमें यह बताएं कि नार्थ ईस्ट में किस तरफ मेरा जाना हो सकता है क्योंकि गुवाहाटी जो है वह आसाम राज्य का राज्य की राजधानी है और यह एक गेट भी है तो यहां से ही सेवेन सिस्टर्स स्टेट के बाकी जो 6 राज्य हैं वहां जाया जा सकता है तो आप लोग कमेंट करके बताएं कि कौन सा राज्य हम लोगों ने चुना होगा इस बार एक्स्प्लोर करने के लिए..
क्रमशः
स्लीपर बोगी में यात्रा करने का एक अलग अनुभव प्राप्त होता है कि जिस जगह से ट्रेन गुजरती है वँहा के स्थानीय लोगों से बातचीत करने का उनके अनुभव जानने का मौका मिलता है और कुछ खाने पीने की शैली का भी ज्ञान मिलता है, ऐसा नही है कि AC का सफर नही किया जा सकता लेकिन स्लीपर में सफर करने का मेरा एक उद्देश्य होता है कि घूमने निकले हैं तो सफर का पूरा मजा लेते चलें न कि AC डिब्बे में बैठ के केवल स्टेशन के लोगों को देखें, क्यों कि बार बार AC से अंदर बाहर करने पर तबियत खराब होने की संभावना भी हो सकती है।
जो अनुभव प्राप्त नही करूंगा तो आप लोगों से साझा कैसे कर सकता हूँ,
जैसे पिछले ट्रिप में हरिद्वार से ट्रेन का रिजर्वेशन होने के बावजूद सोनभद्र तक का सफर बस से किया ताकि उसका भी अनुभव आप सबसे साझा कर सकूं कि आपात स्थिति में आप कैसे वैकल्पिक तौर पर अपने गंतव्य की तरफ यात्रा कर सकते हैं।
फरक्का एक्सप्रेस द्वारा दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (मुग़लसराय जंक्शन) से राजेन्द्र नगर टर्मिनल पटना का किराया प्रति व्यक्ति स्लीपर क्लास का ₹180
उसके बाद कनेक्टिंग ट्रेन के रूप में राजेंद्रनगर टर्मिनल से कामाख्या जंक्शन तक चलने वाली कामाख्या कैपिटल एक्सप्रेस का किराया प्रति व्यक्ति स्लीपर क्लास का ₹ 480
रेलवे रिटायरिंग रूम का किराया 675 रुपये डबल बेड AC के साथ,
होटल का डबल बेड किराया 1500 प्रति रूम AC के साथ
Comments
Post a Comment