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पूर्वोत्तर राज्य की सैर (पांचवा दिन)


कल की थकान आज सभी पर हावी थी तो सबका उठना थोड़ा देर से हुआ, सब लोग नहा धो के फ्रेश हो के रेडी हुए तब तक सुबह के 7 बज चुके थे, हमारी गाड़ी अपने नियत समय 6 बजे से ही खड़ी थी, आज हम लोगों को सांगती वैली, चुग विलेज, दिरांग मार्केट और दिरांग मॉनेस्ट्री घूमना था। दिन का पहला सफर दिरांग वैली की ओर शुरू होता है अपने होमस्टे के ठीक सामने से एक रोड नीचे नदी की तरफ जाती है उसी नदी के किनारे किनारे हम लोग सांगती वैली पहुचे जो एक फेमस पिकनिक स्पॉट है और जो लोग दिरांग रुकते होंगे वो यंहा जरूर वहां आते होंगे। बिल्कुल कश्मीर की वादियों जैसा अनुभव हम लोगों को मिल रहा था, दो पहाड़ों के बीच में बसी यह घाटी थी और बहुत ही सुंदर लग रही थी । यंहा कई होटल और होमस्टे भी बने हुए थे। चूंकि बारिश का मौसम बना हुआ था तो धूप बिल्कुल भी नहीं थी, मौसम ऑलरेडी ठंडा था और बादलों की वजह से और भी प्यारा लग रहा था। फिर हम लोगों ने रास्ते में एक दो रिसर्च इंस्टीट्यूट का ऑफिस भी देखा। कई प्रकार के बागान भी देखें जैसे कि कीवी का, कीवी के बाग आपको वहां बहुत ज्यादा मात्रा में मिलेंगे । हम लोग सब देखते हुए कहीं रुके नही, सीधे पहुचे सांगती वैली पर जो पुल बना हुआ है वहां पर हम लोगों ने स्टॉप लिया, वही सारे टूरिस्ट जाते हैं छोटा सा होटल भी है और वहां की चाय भी ₹20 प्रति कप में मिली।

सड़क को छोड़कर नीचे नदी की तरफ हम लोग उतर गए, उस नदी का पानी बहुत ज्यादा ठंडा था, हम सभी लोगों ने इंजॉय तो किया और फोटो खिंचवाना जरूरी था पानी मे, पानी में गए, एकदम से दर्द होने लगा पांव में फिर भी फोटो खिंचवाने के चक्कर में लोगों ने अपने अपने दर्द को सहा और ढेर सारी फोटोग्राफ्स क्लिक हुआ, ये नजारा इतना प्यारा लग रहा था जैसे लग रहा था कि हम कश्मीर की वादियों में आ चुके हैं। एक-दो घंटे वहां बिताने के दौरान बच्चों ने खूब वाटर गेम खेला फिर वहां से हम लोग अपनी यात्रा वापस शुरू किए और सांगती वैली से वापस लौटते वक्त नदी के किनारे एक छोटा सा ढाबा/रेस्टोरेंट दिखाई दिया जो कि सेब,कीवी,अखरोट के बागान के बीच मे स्थित था, हम लोग काउंटर पर चाय का आर्डर देकर आ गए उन बागों में जंहा ये सारे पेड़ पौधे हमने बिल्कुल करीब से छूकर देखा। पहली बार इन सब फलों को पेड़ में लगा देखकर एक अलग ही आनंद मिल रहा था, उस समय चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे कोई अद्भुत चीज देखने को मिल गयी, एकदम शांत वातावरण में उन्ही बाग में कुछ कुर्सियां लगी थीं जंहा हम लोग बैठ के चाय का आनंद लिए, वंही पर हमने वँहा के लोगों द्वारा उगाए हए गेंहू भी देखा जो कि वंही धूप में सुखाया जा रहा था और साथ ही चावल से शराब बनाने की प्रक्रिया भी आंखों से देखी, ये शराब वंहा के लोकल घरों में हमेशा बनाई जाती है।चाय पी के कुछ फोटोग्राफी करते हुए हम लोग पहुचते हैं दिरांग मार्केट। चूंकि ब्रेकफास्ट का समय हो गया था तो हम लोगों की गाड़ी एक लोकल रेस्टोरेंट 'लीला होटल' पर रुकी जो कि वँहा के मोम्पा ट्राइब के व्यक्तियों द्वारा संचालित था, उस रेस्टोरेंट में सारा स्टाफ और मैनेजर महिला ही थीं, हम लोगों ने वँहा वेज फ्राइड राइस और मोमोज आर्डर किये, कुछ देर बाद पता चला कि वेज मोमोज की जगह याक मीट का मोमोज उपलब्ध है, तो हम लोगों ने अपनी भूख वेज फ्राइड राइस से शांत की जो कि बहुत ही स्वादिष्ट लग रहा था, साथ मे वँहा के लोकल मिर्च की चटनी भी मिली, उनका एक प्लेट दो लोगों के लिए पर्याप्त था। पेट पूजा करने के बाद थोड़ी गर्म कपड़ों की शॉपिंग हुई, वँहा की ठंड को देखते हुए अनुमान लगा कि ऊपर अगले पड़ाव में और ठंड होगी और बच्चों का काम नही चलेगा स्वेटर से तो उन लोगों के लिए जैकेट वगैरह लेना हुआ, यदि आपकी बारगेनिंग स्किल अच्छी है तो  सही है वरना तो सब यंहा वही है। हमने भी बारगेनिंग की, वैसे करते तो नही मगर नॉर्मल से बहुत ज्यादा रेट बोले जाने पर करना पड़ा और मामला तय हो गया, दोनों अपना नया नया ऑउटफिट पा के एकदम खुश !

फिर हम सब लोग अपने अगले प्वाइंट चुग विलेज के लिए निकले। मगर जिस जगह हम लोग गए थे उस जगह का कोई नाम गूगल पर लिस्टेड नहीं दिखा। वहां पर महामानव तथागत गौतम बुद्ध जी की विशाल प्रतिमा बनी हुई है और क्षेत्र के लोगों द्वारा विभिन्न अवसरों पर पूजा-अर्चना की जाती है क्यों कि वहां पर बुद्धिज्म झंडे बहुत ज्यादा मात्रा में मिले उस मूर्ति के आसपास, जो कि बहुत ही प्यारी जगह और प्यारे स्पॉट पर बना हुआ था। यंहा पहुचने के रास्ते का वर्णन शब्दों से नही बंया कर सकता, प्रकृति प्रेमियों के लिये बहुत ही मुफ़ीद जगह, जिनको नदियों की आवाज़, चिड़ियों की चहचहाहट और एकदम सुरम्य वातावरण पसन्द हो वो जरूर आएं। दिरांग से लगभग आधे घण्टे की दूरी पर ये जगह मौजूद थी, तथागत की प्रतिमा के अगल बगल काफी दूर तक घास के मैदान थे और हम तो काफी देर तक वंही लेटे रहे उसी घास पर।

वँहा दो तीन घण्टे बिताने के बाद हम लोग वापस दिरांग मार्केट से होते हुए दिरांग के मुख्य आकर्षण जंहा लगभग सारे टूरिस्ट जरूर जाते हैं, दिरांग मॉनेस्ट्री में पहुचे जिसका नाम गूगल पर Thuksang Dargeyling Monastery और LDL Buddhist Monastery दिखता है,

वँहा पहुच के गाड़ी से उतरते ही एक शब्द मेरे मुँह से निकला कि  "वाह ! मेरी ट्रिप सार्थक हो गयी.."(आप भी जब वँहा की पिक देखेंगे तो शायद खुद को रोक न सकेंगे वँहा पहुचने से)

चारों तरफ हरियाली ही हरियाली, मॉनेस्ट्री थोड़ी ऊंचाई पर होने की वजह से वँहा से पूरा दिरांग टाउन दिख रहा था, चारों तरफ देख के ऐसा लग रहा था जैसे बादल हमे छूने ही वाले हैं, फिर हम लोग अंदर प्रवेश किये, अंदर जाने के दो रास्ते थे, एक सामने से दूसरा साइड से,

हमने दूसरे रास्ते को चुना, चुना क्या इतनी खूबसूरती देख के सहसा कदम उसी रास्ते पे बढ़ चले। ऊपर पहुच के हम सभी लोगों ने तथागत के चरणों में कुछ समय बिताया फिर बाहर आ गए, उस शांत वातावरण में खो जाने का मन कर रहा था, आंखों से देखने पर ऐसा लग रहा था मानो कोई चाइनीज मूवी का दृश्य देख रहे हों, एकदम सजीव..

फिर न चाहते हुए भी समय को देखते हुए हम लोग वापस अपने होमस्टे की ओर बढ़ चले। होम स्टे पहुचने के बाद लगा कि अभी सूरज ढलने में समय है तो घुमक्कड़ी वाला कीड़ा हिलोर मारने लगा, और हम लोग पहुच गए वँहा की सबसे पुरानी मॉनेस्ट्री में जो कि दिरांग विलेज में ही बनी थी, हमारे होमस्टे के ऊपर पहाड़ी पर। ये मॉनेस्ट्री अभी तक गूगल पर लिस्टेड ही नही है, मॉनेस्ट्री बंद थी तो वँहा के सेवादार को हमने जगाया, वो सो के उठे थे हमें लगा कंही गुस्सा न करें, मगर वँहा के लोग..चेहरे पे मुस्कुराहट के साथ उन्होने मॉनेस्ट्री का ताला खोला और हर फ्लोर पर ले जा के घुमाया, उन्होंने उस मॉनेस्ट्री में रखे गए ग्रन्थ जो कि सदियों पुराने थे उन्हें भी दिखाया, ये मेरी लिए पहली बार ऐसा था कि किसी बौद्ध मठ में सदियों पुराने ग्रन्थों को देखने का सौभाग्य मिला, हालांकि भाषा अलग होने की वजह से उसे पढ़ न सके।

आपको उधर हर जगह रास्तों पर, मठों पर हाथ से घूमने हेतु बेलनाकार आकृति मिलेगी जो कि तिब्बत बुद्धिष्ट सभ्यता का द्योतक है, और इसे इंग्लिश में प्रेयर व्हील भी कहा जाता है, जिसे हाथ से क्लॉक वाइज घुमाया जाता है और मंत्रोच्चार किया जाता है- ॐ माने पेमें हंग Om Mane Peme Hung

हमने भी यही मंत्रोच्चार करते हुए कुछ पल वंही बिताए। फिर हम लोग आ गए अपने रात्रि विश्राम स्थल पर ।


मिलते हैं अब अगले दिन मोस्ट एक्साइटिंग जर्नी 'दिरांग से तवांग' पहुचने की यात्रा में..

क्रमशः


लीला होटल में वेज फ्राइड राइस 120 ₹ प्रति प्लेट,

मैगी 50

थुपका 40

चाय 20


















































































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